Buland Kesari/ बेशक नगर निगम और पंजाब सरकार बड़े-बड़े दावे करते हों कि उन्होंने पॉलिथीन के लिफाफों पर नकेल कसी है। परंतु जमीनी है हकीकत कुछ और है।
जालंधर की दो मुख्य सब्जी मंडियों मकसूदा सब्जी मंडी और पुरानी सब्जी मंडी नजदीक पटेल चौक में रोजाना सैकड़ो लिफाफे प्रयोग में ले जाते हैं। घटिया से घटिया के किस्म के लिफाफों का इन सब्जी मंडियों में इस्तेमाल किया जाता है।
जिनमें सब्जियों को पैक भी किया जाता है और इन्हीं लिफाफों में सब्जियां डालकर ग्राहकों को भी बेची जाती हैं।हर सब्जी स्टॉल पर दर्जनों लिफाफे पड़े दिखाई देते हैं।जिनका ना तो कोई चालान काटता है, ना प्रदूषण विभाग इनपर ध्यान देता है?
सरकार की जिन टीमों का काम ही पॉलिथीन के लिफाफे का प्रयोग रोकना है वो भी कभी सब्जी मंडी का दौरा नहीं करतीं। महीने में 15-20 लोगों के चालान काट दिए जाते हैं और खाना पूर्ति कर ली जाती है! ये लिफाफे कहां बनते हैं,कौन सी फैक्ट्री से आते हैं, इनका होलसेल कारोबारी कौन है? उन पर कभी भी लगाम कसने की कोशिश नहीं की गई। जिस कारण लोगों की सेहत पर इन घटिया किस्म के लिफाफों का बुरा प्रभाव पड़ रहा है। साथ ही प्रदूषण को बढ़ाने में भी इनका मुख्य रोल है।
कुछ वर्ष पूर्व ऐसे लिफाफे मार्केट में आने शुरू हो गए थे जो पॉलिथीन के लिफाफे की जगह इस्तेमाल होते थे और उनसे प्रदूषण भी नहीं होता था। परंतु पैसे बचाने के चक्कर में एक बार फिर से सरकार की लापरवाही के चलते लोग इन घटिया किस्म के लिफाफों का प्रयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं। जिनको रोकना अति आवश्यक है। देखना होगा कि नगर निगम की नई टीम इस बारे कोई कड़ा फैसला लेती है या नहीं।
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