Buland kesari ;- लोकसभा चुनाव को लगभग एक वर्ष का समय होने वाला है लेकिन महानगर जालंधर वासियों को अपने चुने हुए कांग्रेसी सांसद पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के दर्शन शायद ही कहीं एक-दो बार किसी पब्लिक समागम में हुए होंगे। संसदीय क्षेत्र जालंधर की आवाम पिछले कई सालों से अपने सांसद या सांसद निवास के साथ बराबर सम्पर्क बनाए रखने की आदी रही है। राज्य में सरकार किसी की भी हो लेकिन महानगर में पूर्व सांसदों के निवास व कार्यालयों में जनता दरबार लगा रहता था क्योंकि पिछले लगभग सभी सांसद जालंधर से संबंधित ही रहे हैं।
चाहे उनमें राणा गुरजीत हों, मोहिंद्र के.पी. रहे हों या सुशील रिंकू सांसद रहे हों लेकिन जालंधर से बाहर के रहने वाले पहले सांसद चरणजीत चन्नी को चुनने के बाद आज जालंधर लोकसभा हलके के कई लोग व ज्यादातर कार्यकर्त्ताओं को मौजूद सांसद के कार्यालय या निवास तक का पता नहीं है, महीने में एक-दो बार मीडिया के जरिए प्रगट होने वाले चन्नी अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों से इतना दूर हो चुके हैं कि अब लोगों को महसूस तक नहीं होता कि उनका कोई सांसद सरगर्म है।
पूर्व सांसदों के साथ उठना-बैठना व आना-जाना रखने वाले पार्टी कार्यकर्त्ताओं व आम नागरिक का दोस्ताना व्यवहार रखने वाले जालंधर निवासी लगभग हर सुबह ही पूर्व सांसदों के निवास पर जनता दरबार लगा कर रखने वाले जालंधर वासी आज अपने सांसद की गैर-मजूदगी से कहीं न कहीं अपनी गलती का एहसास कर रहे हैं।
चुनावों से पहले उन्हें लगता था कि पूर्व मुख्यमंत्री एक बड़ी राजनीतिक शख्सियत उनके शहर के विकास के लिए मेहनत से काम करेंगे लेकिन आज उनके चुनावी वायदे व संपर्क साधन मात्र एक-दुक्का पार्टी कार्यकर्त्ताओं या नेताओं तक सीमित है। विपक्ष के नेता भी चन्नी के जालंधर से नशा खत्म करने के वायदों को व्यंगम्य तरीके से याद दिलाते हुए कई बार याद दिलाया की चन्नी ने कहा था कि उनके सांसद बनने के बाद जालंधर में या नशा रहेगा या चन्नी लेकिन वर्तमान में महानगर में नशा नैटवर्क की स्थिति वैसे की वैसे ही है लेकिन चन्नी जरूर अपने संसदीय क्षेत्र से गायब हैं।
कांग्रेसी सांसद का इस तरह का व्यवहार जहां उनकी राजनीतिक छवि का ग्राफ नीचे ले जा रही है वहीं पंजाब में कई बार शासित रह चुकी कांग्रेस पार्टी की छवि पर भी धुंधला जाल डालने का काम कर रही है। 2027 में एक बार फिर कांग्रेस चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है वहीं जालंधर को कांग्रेस का गढ़ से जाने जाते शहर से लोकसभा सांसद का कार्यकर्त्ताओं व आम लोगों से फांसला बना कर रखना कहीं न कहीं पार्टी को महंगा पड़ सकता है।
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