Buland kesari ;- पंजाब के गांवों से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। पंजाब के बठिंडा जिले में पानी की संभाल को उत्साहित करने और पारंपरिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए ‘3-कुआं प्रणाली’ लागू की जा रही है। इस अनूठी पहल में 125 गांवों की झीलों को फिर जिंदगी देने का लक्ष्य मिला हुआ है।
‘3-कुआं प्रणाली’ क्या है?
‘3-कुआं प्रणाली’ एक पारंपरिक जल संरक्षण तकनीक है, जिसके अंतर्गत झीलों के आसपास 3 कुएं बनाए जाते हैं। यह कुएं बारिश के पानी को इकट्ठा करने जमीनी पानी के स्तर को बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं। इस तरीके से न सिर्फ पानी की उपलब्धता बनी रहती है, बल्कि जल संकट और प्रदूषण की समस्या भी कम होती है।
इस योजना के फायदे
गांवों में पानी की कमी दूर होगी।
पानी का स्तर ऊंचा होगा।
पारंपरिक जल स्रोतों को संरक्षित किया जाएगा।
कृषि एवं पशुपालन के लिए जल की उपलब्धता बढ़ेगी।
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बठिंडा प्रशासन और स्थानीय जल संरक्षण संगठनों के सहयोग से यह योजना तेजी से लागू की जा रही है। गांव वासियों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जा रही है ताकि वे अपनी झीलों और प्राचीन जल स्रोतों का संरक्षण कर सकें। इस पहल से न केवल पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल की उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी।
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