Buland kesari ;- मलोट क्षेत्र के गांव कबरवाला में कल पंजाब के कैबिनेट मंत्री बरिंदर कुमार गोयल के दौरे के बाद इस क्षेत्र में पोटाश के भंडार के मामले में बहुत सी जानकारियां निकल कर सामने आ रही है। बेशक मलोट क्षेत्र के किसानों के विरोध के कारण कैबिनेट मंत्री ने यहां पर कोई ज्यादा बात नहीं की, किंतु उसके बाद फाजिल्का क्षेत्र के दौरे के दौरान प्रैस कॉन्फ्रैंस में उन्होंने माना कि इस संबंधी पंजाब सरकार ने भारत सरकार को खनन की अनुमति दे दी है और जल्द ही भारत सरकार इस पोटाश खनन को लेकर नीलामी कर सकती है।
यह पोटाश का भंडार मलोट के गांव कबरवाला, सरावा बोदला व कटियावाली के नीचे बताया जा रहा है। जिसकी अनुमानित भूमि 1300 एकड़ के करीब है इस पोटाश संबंधी सबसे पहले जुलाई 2022 में पता चला था। पंजाब सरकार ने यहां मिली पोटाश को जांच के लिए भारत सरकार के खनन मंत्रालय को भेजा था। जिसमें इस मिले पदार्थ का पोटाश होना पाया गया। उसके बाद दो बार और सर्वे किए गए। पता चला है कि इन सर्वे में भी इस पदार्थ को पोटाश होना पाया गया।
यह पोटाश का भंडार भूमि के 450 मीटर नीचे गहराई में होने का अनुमान है और जिस मात्रा में यह पोटाश मिला उससे यह भी अनुमान लगाया गया के करीब 60 लाख टन पोटाश का भंडार इस खनन के दौरान निकल सकता है। यहां पर यह भी उल्लेखनीय है के भारत में पोटाश का उत्पादन नहीं होता। पोटाश को दूसरे देशों से आयात किया जाता है और जरूरत के अनुसार विदेशों से 40 से 50 लाख टन पोटाश मंगवाई जाती है। इस पोटाश की कीमत करीब 35 हजार रुपए टन है। यदि इस भूमि के नीचे 60 मिलियन टन यानी 60 लाख टन पोटाश मिलता है तो इसकी कीमत 20 हजार करोड़ के करीब बनती है। भारत सरकार को यहां पर यह पोटाश मिल जाती है, तो रियलिटी के रूप में में पंजाब सरकार की बल्ले बल्ले हो जाएगी। सबसे पहले भूमि के नीचे पोटाश होने का पता राजस्थान के कुछ क्षेत्र में लगा। उसके बाद पता चला के पंजाब के दक्षिण पश्चिम भाग में भी पोटाश होने की संभावना है।
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यह पोटाश मलोट के 3 गांवों के अलावा फाजिल्का जिला के भी 3 गांवों शेरेवाला, रामसर व शेरगढ़ में होने का अनुमान है मुख्य तौर पर पोटाश कृषि उर्वरक के रूप में उपयोग की जाती है। इसके अलावा अन्य भी कई उत्पादों में इसका उपयोग होता है। कैबिनेट मंत्री के अनुसार इस पोटाश का खनन बोरिंग सिस्टम से किया जाएगा। करीब 500 मीटर गहराई में बोर करके इस पोटाश को निकाल लिया जाएगा। जिस कारण किसानों की भूमि का अधिग्रहण नहीं करना पड़ेगा ना ही उनकी फसल को कोई नुकसान होगा। उन किसानों को पोटाश मिलने का कोई फायदा नहीं होने वाला। जबकि इस प्रकार की भी चर्चा थी के पोटाश मिलने के कारण किसानों की भूमि की कीमत बहुत बढ़ जाएगी।
कल कैबिनेट मंत्री के दौरे के दौरान इस प्रकार की बातें भी उठाई गई कि क्या किसानों की भूमि का 2 करोड रुपए प्रति एकड़ के अनुसार मुआवजा मिलेगा। किंतु जब कैबिनेट मंत्री ने कहा कि उनकी भूमि का अधिग्रहण किया ही नहीं जाएगा तो मुआवजा किस बात का मिलना है। पंजाब सरकार को उम्मीद है कि इस पोटाश के भंडार से उन्हें रियल्टी के रूप में काफी धनराशि मिलेगी तो दूसरी तरफ पोटाश प्रोसेसिंग इंडस्ट्री लगने से भी उन्हें टैक्स के रूप में राजस्व की प्राप्ति होगी।
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