Buland kesari ;- जालंधर शहर में जालसाजी का धंधा चरम सीमा पर किया जा रहा है। इस धंधे पर नकेल कसने के लिए प्रशासन चिंतित नहीं और नतीजा यह है कि सरकार को करोड़ों रुपयों का चूना लग रहा है। शहर में सरेआम एन.सी.ई.आर.टी. और स्टेट बोर्ड की नकली किताबें बाजार में बिक रही हैं। यहां तक की पंजाब के अन्य भी शहरों के दुकानदारों को यह नकली माल भेजा रहा है लेकिन नकली माल छापने वाले प्रिंटर्स कार्रवाई न होने के कारण बेखौफ होकर धंधा कर रहे हैं।
एन.सी.ई.आर.टी. और स्टेट बोर्ड का नकली माल ढूंढने बेहद आसान हैं क्योंकि कंपनी अक्सर किताबों का माल छिपवाने के लिए वाटर मार्क पेपर भेजती है लेकिन शहर के हाईवे स्थित प्रिंटिंग प्रैस वाला प्रिंटर अपनी फैक्टरी में बिना वाटर मार्क पेपर का इस्तेमाल करके किताबें छाप कर सप्लाई कर रहा है जिसके कारण डुप्लीकेट किताबों को पहचानना बेहद आसान है। जालसाजी का धंधा यहीं खत्म नहीं होता। उक्त प्रिंटर अपनी प्रैस में वह वह डुप्लीकेट किताबें भी छापता है जिसे छापने के लिए सरकार टैंडर देती है। टैंडर लेने वाला प्रिंटर ही उस किताबें को छाप सकता है और किताब में प्रिंटर खुद का प्रिंट टाइटल भी छापता है जिससे पता लग जाता है कि किताब किस प्रिंटर ने छापी है परंतु बाप-बेटा प्रिंटर काफी चतुराई से अपनी प्रैस में सरकारी टैंडर लेने वाले प्रिंटर का प्रिंट टाइटल इस्तेमाल करके वही किताबें छाप कर बाजार में सप्लाई के लिए भेज देता है जिसके कारण सरकार को भी करोड़ों का चूना लग जाता है।
यह बतां दें कि सरकार एक क्लास के कोई से भी एक सब्जैक्ट की कापी का एक ही प्रिंटर से ही छपवाती है। हैरानी की बात है कि सरकार से लेकर निजी कंपनियों को लग रहे करोड़ों के चूने से प्रशासन कोई सख्त एक्शन नहीं ले रहा। गौरतलब है कि पंजाब केसरी ने शहर में एन.सी.ई.आर.टी., स्टेट बोर्ड और अन्य कम्पनियों की डुप्लीकेट किताबें छपने का मामला उठाया था जिसके बाद कुछ प्रिंटर्स और डुप्लीकेट किताबें बेचने वाले दुकानदारों ने मीटिंग करके डुप्लीकेट किताबें बेचने का तरीका, समय और जगह निर्धारित कर लिया था। डुप्लीकेट किताबों का स्टॉक भी इधर-उधर छिपा दिया गया था लेकिन अब दोबारा से यह लोग एक्टिव हो गए हैं। इससे पहले डी.ए.वी. कालेज के पास एक दुकान में से एन.सी.ई.आर.टी. कम्पनी की 8वीं और 9वीं कक्षा की किताबें पकड़ी गई थीं। यह रेड खुद कंपनी ने करवाई थी जहां से नकली किताबें बरामद तो हुई लेकिन पुलिस प्रिंटर तक नहीं पहुंच सकी थी।
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