Buland kesari ;- जालंधर(खुराना) 10-11 साल पहले मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए स्मार्ट सिटी मिशन की डैडलाइन 31 मार्च को समाप्त होने जा रही है। ऐसे में स्मार्ट सिटी के सी.ई.ओ. गौतम जैन ने स्मार्ट सिटी फंड के पैसों को खर्च करने के उद्देश्य से 13 और प्रोजैक्ट तैयार किए हैं जिनपर 57.50 करोड़ रूपए खर्च आने का अनुमान है। इन सभी प्रोजैक्टों की डी.पी.आर. को सिटी लेवल कंसल्टैंसी कमेटी की बैठक में रखा गया है, जहां से पास होने के बाद यह सभी प्रोजैक्ट स्टेट लैवल कमेटी पास भेजे जाएंगे और वहां से पास होने के बाद यह प्रोजैक्ट शुरू करवाए जा सकते हैं। ज्यादातर प्रोजैक्ट चाहे शहर के हित में ही हैं परंतु इनमें से सबसे महत्वपूर्ण प्रोजैक्ट ग्रीन बेल्ट एरिया की ब्यूटीफिकेशन को लेकर है जो पटेल चौक से शुरू होकर मकसूदां रोड होते हुए विधिपुर फाटक तक जाती है। यह सारी ज़मीन फारेस्ट विभाग के तहत आती है। प्रोजैक्ट के मुताबिक इस ग्रीनबेल्ट एरिया में काम फारेस्ट विभाग ही करवाएगा परंतु जालंधर स्मार्ट सिटी कंपनी इस काम के लिए फारेस्ट विभाग को 5.61 करोड़ रूपए ट्रांसफर करेगी। माना जा रहा है कि यह प्रोजैक्ट पूरा हो जाने के बाद नाॅर्थ विधानसभा क्षेत्र का यह हिस्सा काफी सुधर जाएगा जो इस समय काफी बुरे हालातों में है।
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दुकानदारों ने कर रखे हैं कब्जे, किसी ने इस ओर आजतक ध्यान ही नहीं दिया
जब नगर निगम के चुनाव का दौर चल रहा था तब जालंधर निगम के अधिकारियों ने शहर के हालातों को सुधारने के लिए चुस्ती मुस्तैदी दिखानी शुरू कर रखी थी। तब डिप्टी कमिश्नर और निगम कमिश्नर के ध्यान में आया कि पटेल चौक में ट्रांसपोर्ट कंपनियों के आगे जो ग्रीन बेल्ट बनी हुई है, वह बहुत ही बुरे हालात में है। इसी प्रकार एच.एम.वी. कॉलेज वाली रोड के दोनों ओर भी ग्रीन बेल्ट खस्ता हालत में है। उससे आगे मकसूदा सब्जी मंडी के सामने ग्रीन बैल्ट पर फ्रूट मंडी लगती है और आगे ग्रीन बैल्ट में दुकानें तक बनी हुई हैं। उससे आगे चले जाएं तो मकसूदां चौक से विधिपुर फाटक तक ग्रीन बैल्टों का फिर बहुत बुरा हाल है। कई जगह तो जंगल से उगे हुए हैं जिस कारण औद्योगिक यूनिटों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गौरतलब है कि विधिपुर फाटक-मकसूदा इत्यादि अमृतसर करतारपुर से जालंधर आने का मुख्य मार्ग है परंतु ग्रीन बैल्टों में उगे जंगल और वहां सफाई की हालत काफी खराब होने के चलते शहर ही गंदा दिख रहा है। किसी अधिकारी ने आजतक इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया। चुनावों के दिनों में डिप्टी कमिश्नर और निगम कमिश्नर ने इस बाबत डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफिसर से बात की थी, जिसके बाद यह प्रोजैक्ट बनाया गया । अब देखना है कि क्या ग्रीन बेल्ट से कब्जे हटते हैं और प्रोजैक्ट किस रूप में कब तक सिरे चढ़ता है?
स्मार्ट सिटी के कई और प्रोजैक्ट जिनपर 52 करोड़ रुपए खर्च होंगे
– कंट्रोल एंड कमांड सैंटर प्रोजैक्ट में निगम से संबंधित सेवाओं को शामिल करना : 10 करोड़
– कंट्रोल एंड कमांड सैंटर को अगले 4 साल संचालित करने पर आने वाला खर्च : 10 करोड़
– काला संघिया ड्रीम ब्यूटीफिकेशन प्रोजैक्ट का दूसरा चरण, नूरपुर रोड सौंदर्यीकरण : 5 करोड़
– बिस्त दोआब कैनाल के 5 किलोमीटर एरिया में फेंसिंग करना : 3.40 करोड़
– नगर निगम की सैंट्रल वर्कशॉप को अपग्रेड करना : 3.07 करोड़
– डिवैल्पमैंट ऑफ़ हेरीटेज सिटी एंट्रेंस गेट : 4 करोड़
– पी.ए.पी. चौक फ्लाईओवर, बी.एम.सी. फ्लाईओवर तथा निगम की मुख्य बिल्डिंग पर रोशनी करना : 3.97 करोड़
– शहर में आई.आर.सी. कोड के आधार पर साइनेज लगाना : 3.45 करोड़
– नगर निगम और कंट्रोल कमांड सैंटर में जी.आई.एस. सैल स्थापित करना : 3.10 करोड़
– नए शामिल हुए गांवों में जी.आई.एस. सर्वे करना : 1.30 करोड़
– मिट्ठापुर हॉकी स्टेडियम में गैलरी और रूम का निर्माण करना : 58 लाख
– बर्ल्टन पार्क में कूड़े की मैनेजमैंट हेतु एम.आर.एफ. शेड का निर्माण : 1.07 करोड़
– कोहिनूर फैक्टरी के पीछे पड़े कूड़े को बायो माइनिंग विधि से खत्म करना : 2.95 करोड़
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