बुलंद केसरी न्यूज, बेगलूरू: अंतरिक्ष जगत में भारत आज चांद पर नया इतिहास रचने जा रहा है। चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद के दक्षिण ध्रुव पर कदम रखकर इतिहास रच दिया है। उसने 20 मिनट में चंद्रमा की अंतिम कक्षा से 25 किमी का सफर पूरा किया और लैंडर को धीरे-धीरे नीचे उतारा गया। 5 बजकर 30 मिनट पर शुरुआत में रफ लैंडिंग बेहद कामयाब रही। इसके बाद 5 बजकर 44 मिनट पर लैंडर ने वर्टिकल लैंडिग की। तब उसकी चंद्रमा से दूरी 3 किमी रह गई थी। आखिरकार लैंडर ने 6 बजकर 04 मिनट पर चांद पर पहला कदम रखा। इस तरह भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया।
बता दें कि अब सभी को विक्रम लैंडर से प्रज्ञान रोवर के बाहर आने का इंतजार है। धूल का गुबार शांत होने के बाद यह बाहर आएगा। इसमें करीब 1 घंटा 50 मिनट लगेगा। इसके बाद विक्रम और प्रज्ञान एक-दूसरे की फोटो खींचेंगे और पृथ्वी पर भेजेंगे। चांद पर भारत की सफल लैडिंग के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गवाह बनें। इस दौरान बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह क्षण भारत के लिए ऐतिहासिक है। यहां पर दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंच सका है वहां पर भारत पहुंचा। भारत ने आज इतिहास रच दिया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि अब तक कहा जाता है चंदा मामा दूर के है, एक दिन यह भी आएगा जब बच्चें कहेंगे चंदा मामा टूर के।
बता दें कि भारत से पहले रूस चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लूना-25 यान उतारने वाला था। 21 अगस्त को यह लैंडिंग होनी थी, लेकिन आखिरी ऑर्बिट बदलते समय रास्ते से भटक गया और चांद की सतह पर क्रैश हो गया। चंद्रयान-3 आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च हुआ था। इसे चांद की सतह पर लैंडिंग करने में 41 दिन का समय लगा। धरती से चांद की कुल दूरी 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है।
इस संबंधी में ईसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार। लैंडर मॉड्यूल (एलएम) के लगभग 17.44 बजे भारतीय समयानुसार 5.44 बजे निर्धारित बिंदु पर पहुंचने का इंतजार है।” लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। यह एक ऐसी उपलब्धि है, जो अब तक किसी भी देश को हासिल नहीं हुई है।
जिक्रयोग्य है कि सबसे पहले लैंडर की स्पीड को कंट्रोल में रखना, दरअसल, पिछली बार तेज रफ्तार की वजह से लैंडर क्रैश हो गया था और इसरो से संपर्क टूट गया था, हाल ही में रूस के लूना-25 के साथ भी ऐसा ही हुआ। दूसरा सबसे बड़ा चैलेंज यह था कि लैंडर चंद्रयान-3 उतरते समय सीधा रहे इसका सीधा चांद की सतह पर उतरना बेहद जरूरी है, नहीं तो संपर्क टूटने की आशंका है। तीसरी चुनौती ईसरो द्वारा सेलेक्ट की गई जगह पर ही लैंडिंग हो।
India reached the moon, Vikram Lander successfully landed
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