Buland kesari :- प्रेगनेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा तब बढ़ता है जब गर्भावस्था में गर्भवती महिला के शरीर में शुगर का स्तर असामान्य रूप से बढ़ जाता है। यह स्थिति तब होती है जब गर्भवती महिला का शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता, जिससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ सकता है। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ने के कारण
अगर परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो इसका खतरा प्रेगनेंसी महिला में बढ़ सकता है। 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में इसका खतरा अधिक होता है। गर्भावस्था के दौरान अधिक वजन बढ़ने से भी डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। व्यायाम और सक्रिय जीवनशैली की कमी के कारण भी इसका खतरा बढ़ सकता है।
जेस्टेशनल डायबिटीज से बच्चे को क्या हो सकता है नुकसान?
शुगर के अधिक स्तर के कारण बच्चे का वजन अधिक बढ़ सकता है, जिससे सामान्य डिलीवरी में कठिनाई हो सकती है। जेस्टेशनल डायबिटीज होने से समय से पहले प्रसव, प्रीक्लेम्प्सिया, और अन्य जटिलताएं हो सकती हैं। जन्म के बाद बच्चे में ब्लड शुगर का स्तर असामान्य रूप से कम हो सकता है। जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण बच्चे में भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ सकता है।
मीठे की क्रेविंग को कंट्रोल करने के उपाय
फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ खाएं: फाइबर युक्त फल और सब्जियां खाने से क्रेविंग को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। जैसे- सेब, संतरा, नाशपाती आदि।
छोटे-छोटे मील्स लें: एक बार में अधिक खाने के बजाय छोटे-छोटे मील्स लेने से शुगर लेवल स्थिर रहता है।
प्रोटीन युक्त स्नैक्स लें: दही, मूंगफली का मक्खन, और पनीर जैसे प्रोटीन वाले स्नैक्स खाने से भूख और क्रेविंग नियंत्रित रहती है।
मीठे का हेल्दी विकल्प चुनें : गुड़, शहद, या प्राकृतिक रूप से मीठे फल जैसे सेब और जामुन का सेवन करें।
पानी अधिक पिएं : प्यास और मीठे की क्रेविंग में कई बार भ्रम होता है, इसलिए पानी अधिक पीने से क्रेविंग को नियंत्रित किया जा सकता है।
प्रेगनेंसी में डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए नियमित ब्लड शुगर की जांच और डॉक्टर की सलाह का पालन करना महत्वपूर्ण है।
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