10 मार्च 2022 यानी पूरे 1 वर्ष पहले जब 92 सीटें जीतकर मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में सरकार पहली बार सत्ता में आई थी तो किसी ने नहीं सोचा था कि राज्य की शिक्षा में व्यापक सुधार लाने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा किए वायदे सरकार के शुरूआती सफर में ही पूरे होते दिखेंगे। शुक्रवार को पंजाब सरकार के दूसरे बजट में स्कूली शिक्षा पर पूरी तरह से फोकस करते हुए वित्तमंत्री हरपाल चीमा ने जिस तरह से खजाने का मुंह खोला है उससे जाहिर है कि अब वह दिन दूर नहीं जब दिल्ली की तरह अब पंजाब के शिक्षा मॉडल की बात भी देश भर में होने लगेगी।
स्कूली व उच्च शिक्षा की बेहतरी के लिए 17,072 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है जिसमें पंजाब सरकार की स्कूली शिक्षा को एक मॉडल रूप देने के लिए तैयार की गई महत्वाकांक्षी योजना स्कूल ऑफ एमिनैंस पर 200 करोड़ रूपए खर्च किए जाने हैं। स्कूल ऑफ एमिनैंस की शुरूआत विद्यार्थियों के सुनहरी भविष्य निर्माण में क्रांतिकारी कदम पंजाब की सरकारी स्कूल शिक्षा व्यवस्था से जुड़े माहिरों को भी यह योजना काफी पसंद आई है। उनका कहना है कि यह योजना विद्यार्थियों का सुनहरी भविष्य निर्माण करने में एक क्रांतिकारी कदम है।
इस योजना के पहले चरण में चयनित 23 जिलों के 117 सरकारी स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षा तक शिक्षा का कायाकल्प करना और विद्यार्थियों का सर्वपक्षीय विकास करना सरकार का उद्देश्य है। शिक्षा का जिस तरह का माहौल इन स्कूलों में विद्यार्थियों को मिलेगा शायद उसकी कल्पना भी कभी किसी ने नहीं की होगी। इस योजना से जुड़े शिक्षा माहिरों का कहना है कि अब तक तो सिर्फ यही सुना जाता था कि सरकारी स्कूल निजी स्कूलों से बेहतर बनाने हैं लेकिन जमीनी स्तर पर उक्त दावों को अगर लागू करने के लिए किसी ने कदम बढ़ाए हैं तो वह पंजाब सरकार ने। ऐसे स्कूलों ने ही पहले दिल्ली के शिक्षा क्षेत्र में नई क्रांति ला दी है और अब पंजाब भी इसके लिए तैयार है जहां के स्कूलों की व्यवस्था देखने विदेशी मेहमान भी आया करेंगे।
शिक्षा मंत्री के दौरों से बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे स्कूलों के हालात बदलेंगे, 324 करोड़ जारी
शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस द्वारा सरकारी स्कूलों में से ऐसे स्कूलों की सूरत बदलने का आगाज़ हो चुका है जो अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे थे। बेशक पिछली सरकार ने कई स्कूलों को स्मार्ट का दर्जा दिया लेकिन हालात यह हैं कि अभी भी कई ऐसे स्कूल हें जिनमें बुनियादी सुविधाओं की कमी है। शिक्षा मंत्री बैंस के गांव के सरकारी स्कूलों में चल रहे निरीक्षण का फायदा यह हुआ कि प्रदेश सरकार ने अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे स्कूलों की बुनियादी हालत सुधारने के लिए बजट में 324 करोड़ रुपए रखे हैं। इनमें ऐसे कई स्कूल हैं जहां पर अभी तक बाऊंडरी वाल भी नहीं है। लेकिन सरकार का यह बजट स्कूलों की तस्वीर बदलने में अपना महत्वपूर्ण योगदान डालेगा।
99 करोड़ से चाक-चौबंद होगी सफाई व्यवस्था
अब तक सरकारी स्कूल अक्सर अपनी सफाई व्यव्स्था के अभाव या संभाल को दुरुस्त न रख पाने की वजह से सुर्खियों में रहते थे। विभागीय टीमों द्वारा चैकिंग पर आते ही स्कूल अध्यापकों से सफाई व्यवस्था दुरुस्त न होने को लेकर जवाबतलबी की जाती थी लेकिन किसी भी सरकार ने स्कूलों को न तो सफाई व्यवस्था के लिए कभी फंड जारी किए और न ही कर्मियों का प्रबंध किया। ऐसे में अध्यापकों को अपने स्तर पर ही स्कूल में सफाई का प्रबंध करवाना पड़ता था लेकिन मान सरकार ने बजट में स्कूलों की प्राथमिक साफ सफाई और संभाल को यकीनी बनाने की सोच लेकर 99 करोड़ का बजट स्कूलों को देने का ऐलान किया है, ताकि अध्यापकों पर फालतू के बोझ को हटाया जाए।
वर्ष भर सिंगापुर की उड़ान भरते रहेंगे स्कूल प्रमुख
सिंगापुर के अध्यापन सिस्टम को सरकारी स्कूलों में लागू करने के उद्देश्य से भगवंत मान की अगुवाई वाली सरकार द्वारा शुरू की गई स्किल अपग्रेडेशन प्रोग्राम की पहल से पूरा वर्ष ही स्कूल प्रमुख और अध्यापक सिंगापुर की उड़ान भरते रहेंगे। फिलहाल सरकार द्वारा 66 स्कूल प्रमुखों को अब तक विदेशी टूर पर भेजा जा चुका है और आने वाले दिनों के लिए अन्य की लिस्टें भी तैयार हो रही हैं। सरकार की इस पहल से सिंगापुर से ट्रेनिंग लेकर लौटे स्कूल प्रमुख मास्टर ट्रेनर के तौर पर भी अपने अध्यापकों को प्रशिक्षण देंगे, जिसका बड़ा फायदा इन स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहे लाखों विद्यार्थियों को होगा।
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