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Chhath Puja : सूर्य को क्यों दिया जाता है अर्घ्य जानिए…

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Buland kesari ;- Chhath Puja 2024 : छठ पूजा यूपी-बिहार में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। छठ में सूर्य देवता और छठी मईया की आराधना की जाती है। यह पूजा चार दिनों तक चलती है और इसमें श्रद्धालु सूर्य को अर्घ्य देते हैं। आइए, आज हम आपको छठ पूजा में सूर्य को अर्घ्य देने की प्रथा के पीछे की पौराणिक कहानी के बारे में बताते हैं।Chhath Puja

किसकी होती है पूजा?

पौराणिक मान्यता के अनुसार सूर्य देवता जीवन और ऊर्ज के स्रोत माने जाते हैं। उनकी आराधना से मनुष्य को स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि सूर्य देवता ने अपने तेज से संसार को प्रकाश दिया और अंधकार को मिटाया। इसलिए, सूर्य को अर्घ्य देकर श्रद्धालु अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ती की कामना करते हैं।

छठी मईया को गौरी, उषा या छठ देवी भी कहा जाता है और वह सूर्य देवता की बहन मानी जाती हैं। उनका विशेष रूप से आदिवासी और ग्रामीण समुदायों में बहुत सम्मान है। छठ पूजा के दौरान, श्रद्धालु विशेष रूप से छठी मईया की आराधना करते हैं, जिनसे उन्हें संतान सुख और परिवार में सुख-शांति की प्राप्ति की उम्मीद होती है।

Chhath Puja ;- पौराणिक कथाओं के अनुसार, जो लोग सच्चे मन से छठी मईया की पूजा करते हैं, उनको परिवार में कभी भी दुख और दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता। छठी मईया के प्रति श्रद्धा और भक्ति से मनुष्य के जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।

क्या है पूजा की विधि ?

Chhath Puja का आयोजन मुख्य रूप से कार्तिक महीने में, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर सप्तमी तक किया जाता है। इस पूजा में विशेष रूप से उपवास किया जाता है। इस अवसर पर लोग नदी, तालाब या किसी जल स्रोत के किनारे जाकर पूजा करते हैं।

Chhath Puja की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, इस दिन श्रद्धालु स्नान करके विशेष पकवान बनाते हैं, जिसमें चावल, चना की दाल और कद्दू की सब्जी शामिल है। दूसरे दिन, जिसे खरना कहा जाता है, उपवास रखकर शाम को खीर का प्रसाद बनाया जाता है। इसी प्रसाद को खाने के बाद शुरू होता है निजर्ला व्रत।

तीसरे दिन, श्रद्धालु नदियों के किनारे जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं और फिर चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात परिवार के सभी सदस्य प्रसाद ग्रहण करते हैं।

बिहारी समाज के अनुसार Chhath Puja सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा की एक अमूल्य धरोहर है। बिहार के लोग छठ पूजा को सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव के रूप में मनाते हैं, जो भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाता है।

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