Buland kesari;- बरसात का मौसम आते ही मच्छरों से होने वाली बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ने लगते हैं। इस दौरान मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी कई बीमारियां लोगों को अपना शिकार बनाती हैं।
हालांकि, डेंगू (Dengue Fever) इन सभी सबसे ज्यादा होने वाली बीमारी है, जिसके मामले देश के अलग-अलग हिस्सों से सामने आ रहे हैं। यह एक गंभीर बीमारी है, जो सही समय पर इलाज न मिलने की वजह से जानलेवा तक साबित हो सकता है। ऐसे में इससे बचाव के साथ-साथ जागरूकता और सही जानकारी
(Dengue Health Tips) होना बेहद जरूरी है।
हालांकि, कई लोग जानकारी के अभाव में इस बीमारी के होने पर सुनी-सुनाई बातों और घरेलू नुस्खों (Dengue Home Remedies) की मदद से इसे ठीक करने की कोशिश करते हैं। कई लोग Dengue होने पर गिलोय, पपीते के पत्ते और बकरी के दूध की मदद से इसका इलाज करने की कोशिश करते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल में मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल गुरुग्राम में क्रिटिकल केयर मेडिसिन में सीनियर रजिस्ट्रार डॉ. मुजामिल सुलतान से जानेंगे डेंगू में कितना सुरक्षित है गिलोय, पपीते के पत्ते और बकरी के दूध का इस्तेमाल
पपीते के पत्ते
डॉक्टर के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि डेंगू बुखार के दौरान गिलोय, पपीते के पत्ते और बकरी के दूध का इस्तेमाल कुछ लाभ पहुंचा सकता है, लेकिन इसे सावधानी से और डॉक्टर की देखरेख में किया जाना चाहिए। डेंगू बुखार के इलाज में प्लेटलेट काउंट एक महत्वपूर्ण कारक है, जिसे बढ़ाने में पपीते की पत्तियां लाभदायक मानी जाती हैं। इन पत्तियों में मौजूद पपेन और फ्लेवोनोइड्स, प्लेटलेट सिंथसिस और इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
हालांकि, इनके असर को लेकर वैज्ञानिक प्रमाण बहुत कम है और इनका बहुत ज्यादा सेवन करने से मतली सहित कई नकारात्मक दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
बकरी का दूध
डॉक्टर आगे बताते हैं कि चूंकि बकरी का दूध सेलेनियम जैसे मिनरल से भरपूर होता है, जो इम्युनिटी को मजबूत कर सकता है और गाय के दूध की तुलना में पचाने में आसान होता है, इसलिए अक्सर इसकी सलाह दी जाती है। हालांकि, इसका इस्तेमाल इस बीमारी में देखभाल के एक जरूरी कारक के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
गिलोय
डॉक्टर कहते हैं कि गिलोय जड़ी-बूटी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि यह शरीर की रक्षा तंत्र का समर्थन करता है और बुखार को कम करने में सहायता करता है। हालांकि, इसका इस्तेमाल भई सीमित ही करना चाहिए, क्योंकि ज्यादा मात्रा में इसे लेने से लिवर को नुकसान हो सकता है।
जरूरी बात
अंत में डॉक्टर बताते हैं कि ये हर्बल ट्रीटमेंट सहायक देखभाल प्रदान कर सकते हैं, लेकिन ये मेडिकल केयर की जगह नहीं ले सकते। डेंगू बुखार के लिए किसी भी ऑप्शनल ट्रीटमेंट का प्रयास करने से पहले, हमेशा डॉक्टर की सलाह लें।
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