बुलंद केसरी न्यूज, जालंधरः महानगर में नई वार्डबंदी को लेकर उठे राजनीतिक विवाद के बाद आज मंगलवार को हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी। जिसमें निगम के अधिकारियों नई वार्डबंदी का सारा रिकार्ड और आपत्तियों का डेटाा लेकर कोर्ट में पेश होंगे। बता दें कि कांग्रेस के पूर्व विधायक और जालंधर कांग्रेस के प्रधान राजिंदर बेरी और अन्य लोगों ने नगर निगम की नई वार्डबंदी पर आपत्ति जताई थी, लेकिन निगम के अधिकारियों ने उनकी आपत्तियों को गंभीरता से नहीं लिया।
नई वार्डबंदी मामले में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जो नए वार्ड बनाए गए हैं, उनमें रिजर्वेशन रोस्टर का ख्याल नहीं रखा गया। जिन वार्डों में अनुसूचित जाति के लोगों की जनसंख्या ज्यादा है, उन्हें जनरल में डाल दिया गया है, जबकि जिन वार्डों को छोटा किया गया है और जिनमें अनुसूचित जाति की जनसंख्या कम है, उन्हें रिजर्व कर दिया गया है। जिसके चलते पूर्व विधायक राजिंदर बेरी, पूर्व कांग्रेस पार्षद जगदीश दकोहा, पूर्व विधायक प्यारा राम धन्नोवाली के पौत्र अमन ने अपने वकीलों एडवोकेट मेहताब सिंह खैहरा, हरिंदर पाल सिंह ईशर तथा एडवोकेट परमिंदर सिंह विग के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि नगर निगम ने वार्डबंदी को लेकर जो नया ड्राफ्ट तैयार किया है, उसमें बहुत सारी खामियां हैं।
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि नई वार्डबंदी को लेकर जो बोर्ड गठित किया गया था, उसमें 5 एसोसिएट सदस्य भी थे, लेकिन हैरानी की बात है कि इन एसोसिएट सदस्यों को न तो डिलिमिटेशन बोर्ड की बैठक में बुलाया गया और न ही उन्हें बोर्ड से हटाने के लिए कोई नोटिफिकेशन जारी किया गया। याचिका में तर्क दिया गया है कि जिसमें सदस्यों को लेकर ही इतना ज्यादा झोल है, वह डिलिमिटेशन बोर्ड ठीक कैसे हो सकता है। बोर्ड अवैध है और इसके द्वारा तैयार किया गया वार्डबंदी का ड्राफ्ट स्वतः गैरकानूनी है।
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