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ISRO ने रचा इतिहास, Aditya-L1 ने किया सूर्य नमस्कार, उठेगा कई रहस्यों से पर्दा

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बुलंद केसरी ब्यूरो, बेंगलुरुः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO ) ने शनिवार को एक बार फिर से इतिहास रचकर पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। ईसरो द्वारा लांच किए गए ‘Aditya-L1’ यान को शनिवार को पृथ्वी से लगभग 1.5 million किलोमीटर दूर इसकी अंतिम गंतव्य कक्षा में स्थापित कर दिया। 2 सितंबर 2023 को को शुरू हुई ‘ Aditya-L1Lagrange point 1 पर Halo Orbit में सफलतापूर्वक स्थापित होने के बाद पूरी हुई।

मिली जानकारी के अनुसार पांच महीने बाद 6 जनवरी 2024 की शाम ये सैटेलाइट L1 प्वाइंट पर पहुंच गया। इस प्वाइंट के चारों तरफ मौजूद Solar Halo Orbit में तैनात हो चुका है। हैलो ऑर्बिट में डालने के लिए , Aditya-L1 सैटेलाइट के थ्रस्टर्स को थोड़ी देर के लिए ऑन किया गया। इसमें कुल मिलाकर 12 थ्रस्टर्स हैं।

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इसरो अधिकारियों ने कहा कि ‘एल1 प्वाइंट’ के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और space weather पर इसके प्रभाव का अवलोकन करने में अधिक लाभ मिलेगा। ‘Lagrange point’ वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाता है. प्रभामंडल कक्षा, एल 1 , एल 2 या एल 3 ‘लैग्रेंज प्वाइंट’ में से एक के पास एक आवधिक, त्रि-आयामी कक्षा है।

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ISRO के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-C57) ने दो सितंबर को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे प्रक्षेपण केंद्र से आदित्य-एल1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था। PSLV ने 63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान के बाद उसने पृथ्वी की आसपास की अंडाकार कक्षा में Aditya-L1को स्थापित किया था।

, Aditya-L1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘L1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर वायु का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘coronal mass ejection’ (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है।

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