कब मिलेगा लावारिस लाश को इंसाफ? दोबारा होनी चाहिए जांच!
Buland kesari ;- Jalandhar: जुलाई महीने की एक तारीख, सिविल अस्पताल की मोर्चरी के इंचार्ड डा. बेअंत सिंह ने मैडीकल सुपरिंटैंडैंट सहित सिविल अस्पताल के साथ लगते थाना 4 की पुलिस को मोर्चरी में करीब 30 दिन से एक व्यक्ति की लाश जोकि पूरी तरह से गल-सड़ चुकी थी, के संबंध में सूचित किया। लाश की हालत ऐसी कि पहचानना मुश्किल था।परंतु इस सारे मामले को बिना पुख्ता जांच करवाएं बंद कर दिया गया और यह पता लगाने की कोशिश भी नहीं की गई कि आखिर 30 दिन तक लाश को मोर्चरी में सड़ने के लिए किसने और क्यों रखा। अब इस मामले की दोबारा जांच करवाने की मांग उठने लगी है! देखना होगा कि क्या लावारिस लाश को इंसाफ मिल पाता है?
करीब 30 दिन बाद मोर्चरी स्टाफ को बदबू महसूस हुई और स्टाफ और मोर्चरी इंचार्ज के हाथ-पैर फूल गए। आनन-फानन में गल-सड़ चुकी लाश के बारे में पुलिस को तो सूचित किया गया। लेकिन तब मौके पर उक्त लाश के संबंध में अस्पताल के पास न कोई फाइल मिली और न ही मरीज के संबंध में कोई रिकार्ड, जिससे पता चल सके कि यह लाश किसकी है। मौके पर कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं हुआ। बाद में पुलिस को जो एड्रैस दिया गया उस एड्रैस पर कोई शिनाख्त नहीं हुई और शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। उक्त डैड बॉडी को लेकर आज भी कोई खुलासा नहीं हो सका है और खाली हाथ बैठी पुलिस द्वारा इससे आगे कोई कार्रवाई भी नहीं की गई। लापरवाही-दर-लापरवाही
jalandhar news ;- बाद में मीडिया को दी गई जानकारी के मुताबिक इस मामले को एक्सीडैंट का केस बताया गया लेकिन एक्सीडैंट कहां हुआ और एक्सीडैंट में घायल को अस्पताल में कौन लेकर आया, इसका अभी तक पुलिस ने कोई खुलासा नहीं किया। इससे भी बड़ी लापरवाही अस्पताल में यह हुई कि कोई व्यक्ति सिविल अस्पताल में घायल अवस्था में दाखिल हुआ है, के संबंध में जो पहली कार्रवाई बनती है, पुलिस को सूचित ही नहीं किया गया, जबकि सिविल अस्पताल में 24 घंटे पुलिस मौजूद रहती है। जबकि कोई घायल व्यक्ति सिविल अस्पताल की इमरजैंसी में दाखिल होता है तो उसकी एम.एल.आर. काटने के बाद पुलिस को सौंपी जाती है ताकि आगे की कार्रवाई हो सके। इससे भी बड़ी लापरवाही तब हुई जब इमरजैंसी के बाद मरीज को वार्ड में शिफ्ट किया गया। सामने आया कि वार्ड में मरीज को शिफ्ट करते समय मरीज का कोई रिकार्ड नहीं सौंपा गया। इस बीच मरीज की मौत हो गई और लाश मोर्चरी में शिफ्ट कर दी गई और मोर्चरी को भी कोई रिकार्ड नहीं सौंपा गया। इसके बाद जब तक लाश पूरी तरह से गड़-सड़ नहीं गई, तब तक किसी को न तो लाश नजर आई और न ही लाश से बदबू आई।
घायल व्यक्ति इमरजैंसी में दाखिल हुआ तो कोई सी.सी.टी.वी. फुटेज तो होगी
हालांकि जैसा कि मीडिया को जानकारी दी गई कि कोई व्यक्ति घायल को इमरजैंसी में छोड़कर वहीं से चला गया था।यदि यही सच है तो घायल को अस्पताल लेकर आने वाले की कोई तो सी.सी.टी.वी. फुटेज होगी, जिसकी पुलिस द्वारा जांच की जानी चाहिए थी। वहीं अगर मरीज को कोई व्यक्ति इमरजैंसी में छोड़कर चला गया तो उसकी फाईल कैसे बनी और इसकी फाईल बनवाई किसने। jalandhar news ;- सिविल अस्पताल के पास इस संबंध में कोई तो रिकार्ड होना चाहिए। पुलिस द्वारा सीसीटीवी फुटेज देखी गई तो इस संबंध में मीडिया में कोई खुलासा नहीं हुआ और फाईल बंद कर दी गई। दूसरी ओर जिन डॉक्टरों की लापरवाही सामने आई, उन्हें सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।अगर सारे मामले की दोबारा जांच खुलती है तो कई बड़े खुलासे हो सकते हैं।
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