Buland Kesari/ Nagar Nigam Election News; इसी माह सम्पन्न हुए नगर निगम चुनावों के नतीजे आ चुके हैं। निगम इकाइयां भी स्थापित हो चुकी हैं। लेकिन अब चुनावी सिस्टम को लेकर जो बातें सामने आ रहीं हैं वो बेहद हैरानीजनक हैं।
जानकारी के अनुसार नगर निगम चुनावों के लिए election commission ने सभी उम्मीदवारों को अधिक से अधिक 4 लाख रुपए की राशि चुनाव में खर्च करने की अनुमति दी थी। परंतु जमीनी हकीकत यह है कि कम से कम वोट लेकर जमानत जब्त करवाने वाले candidates ने भी 4 लाख से ज्यादा की राशि खर्च करके चुनाव लड़े हैं।
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बड़ी बात यह है कि चुनाव आयोग ने इस बात की जांच कभी करने की कोशिश ही नहीं की, कि आखिर चार लाख में तो चुनाव लड़े नहीं जा सकते? तो फिर कैसे उम्मीदवार निर्धारित की गई राशि से कई गुना अधिक राशि खर्च करके चुनाव लड़ते हैं और जो कागज़ी प्रूफ चुनाव आयोग को दिए जाते हैं वे चार लाख से कम के ही क्यों दिए जाते हैं।
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इससे एक बात तो स्पष्ट है कि चुनाव आयोग खुद ही नहीं चाहता कि इस गोरखधंधे पर से पर्दा उठे ? वर्ना जमीनी हकीकत की अगर जांच की जाए तो चुनाव आयोग के खर्चे वाले नियमों की धज्जियां पार्षद स्तर से लेकर संसद स्तर के चुनाव में हर बार लगातार उड़ाई जा रही हैं! जिन्हे आंखें मूंदकर चुनाव आयोग सहन करता चला आ रहा है! इसके पीछे का क्या कारण है इसकी भी उच्च स्तरीय जांच अनिवार्य है।
ताज़ा जानकारी के अनुसार बात अगर जालंधर में हुए नगर निगम चुनाव के 85 वार्डों की करी जाए तो इनमें से उत्तरी हल्के के एक वार्ड के उम्मीदवार ने सुत्रों के कथित तौर पर 4 लाख के खर्चे की जगह 90 लाख रुपए खर्च करके चुनाव जीता है! जिसकी चर्चा इस समय नगर निगम हाउस में लगातार हो रही है।
मामले की चुनाव आयोग द्वारा जांच की जाने की मांग उठ रही है। इतना ही नहीं जानकार सूत्र बताते हैं कि गत निगम चुनावों के प्रचार के दौरान उत्तर हल्के के एक पूर्व मंत्री ने तो focal point के एक चुनावी समारोह में एक मंच पर से कहा था कि AAP का एक पार्षद उम्मीदवार अपनी दो नंबर की कमाई धड़ल्ले से चुनाव में झोंक रहा है, इसकी जांच होनी चाहिए!
परंतु जिस पर दो नंबर की कमाई अवैध तरीके से चुनावों में लगाने के आरोप लग रहे थे , वह साहब तो चुनाव जीतकर पार्षद भी बन गए हैं और चुनाव आयोग एक बार फिर से सवालों के घेरे में खड़ा मायूस दिखायी दे रहा है?
जानकार बताते हैं कि अगर विजिलेंस विभाग नगर निगम चुनाव में खर्च किए गए पैसे की निष्पक्ष जांच करता है तो करोड़ों रुपए का बड़ा धपला सामने आ सकता है!
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