बुलंद केसरी, नई दिल्ली: Nisar Satellite, भारत के अंतरिक्ष संगठन इसरो और अमेरिका के अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक साथ मिलकर नासा इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) सैटेलाइट को तैयार करने का महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस सैटेलाइट का नाम होगा ‘निसार’। इसे बनाने में दो महान देशों का साझा योगदान हो रहा है, और यह भारतीय अंतरिक्ष प्रोजेक्ट्स के लिए एक नई उपलब्धि की ओर कदम बढ़ा रहा है।
Nisar Satellite की विशेषता
Nisar Satellite: निसार सैटेलाइट का वजन 2600 किलोग्राम होगा, और इसका प्रमुख कार्य भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी, और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी और भविष्यवाणी करना होगा। इस सैटेलाइट का एक महत्वपूर्ण कार्य धरती, समुद्र, और बर्फ की एनालिसिस करना और उसकी जानकारी अंतरिक्ष एजेंसी तक पहुंचाना है। यह सैटेलाइट छोटे से छोटे गतिविधियों का भी निगराना करेगा और इसकी जानकारी अंतरिक्ष एजेंसी को प्रदान करेगा। इसका मतलब है कि हम इसके माध्यम से पूरी धरती की हर गतिविधि को देख सकेंगे और किसी भी बदलाव को सुनिश्चित कर सकेंगे।
Nisar Satellite की आपूर्ति
निसार सैटेलाइट को तैयार करने के लिए एक बड़े बजट की आपूर्ति की गई है, जिसका माना जा रहा है कि यह 1.5 अरब डॉलर का होगा। यह एक महंगा परियोजना है, लेकिन इसके माध्यम से हम अंतरिक्ष में नई और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे और भी गहरा बनाने के लिए लम्बे एंटीने की आवश्यकता है, लेकिन इसके लिए नए तरीके भी विकसित किए जा रहे हैं। वर्चुअल एंटीना तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे निसार की जानकारी को और भी अधिक सुगम बनाया जा सकेगा।
Nisar Satellite का उपयोग
निसार का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है, जैसे कि भूविज्ञान, जलवायु विज्ञान, और नैभिकीय अनुसंधान में। इससे हम अंतरिक्ष से धरती की जानकारी को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे और उसके लिए बेहतर उपाय ढूंढ सकेंगे। इसके साथ ही, यह जीवन को नष्टकारी आपदाओं से बचाने के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इससे हम आपदा पूर्वानुमान और उसकी पूर्वानुमानित पूर्वानुमानी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
नासा इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) सैटेलाइट एक महत्वपूर्ण परियोजना है जिसमें भारत और अमेरिका एक साथ काम कर रहे हैं। इससे हम अंतरिक्ष में और भी गहरी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे और दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में इसका उपयोग कर सकेंगे। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो हमारे अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में नयी उपलब्धियों की ओर बढ़ा रहा है, और यह भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को और भी मजबूत बनाने में मदद करेगा।
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