कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता को रद्द कर दिया गया है। राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद थे। लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि उनकी अयोग्यता संबंधी आदेश 23 मार्च से प्रभावी होगा। अधिसूचना में कहा गया है कि उन्हें (राहुल गांधी) संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 धारा 8 के तहत अयोग्य घोषित किया गया है।
जनप्रतिनिधि कानून
जनप्रतिनिधि कानून के अनुसार, सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में अगर 2 साल से ज्यादा की सजा हुई है तो ऐसे में उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा) रद्द हो जाएगी। इसके अलावा सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह साल तक चुनाव लड़ने के लिए आयोग्य भी होते हैं।
क्या बच सकती है सदस्यता?
राहुल गांधी लोकसभा सदस्यता बेशक रद्द कर दी गई है लेकिन कांग्रेस नेता को अपनी सदस्यता बचाए रखने के रास्ते बंद नहीं हुए हैं। राहुल गांधी को अपनी सदस्यता बचाए रखने के लिए हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं, अगर सूरत कोर्ट के फैसले पर स्टे लग जाता है तो सदस्यता बच सकती है। हाईकोर्ट अगर स्टे नहीं देता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने पर उनकी सदस्यता बच सकती है।
कानूनी और राजनीतिक लड़ाई लड़ेगे: कांग्रेस
कांग्रेस ने राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के बाद शुक्रवार को कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिए ‘काला दिन’ है और वह मोदी सरकार के इस ‘सुनियोजित कदम’ के खिलाफ कानूनी और राजनीतिक लड़ाई लड़ेगी। पार्टी ने यह भी कहा ‘‘भारतीय लोकतंत्र ओम शांति।” कांग्रेस ने इस घटनाक्रम पर आगे की रणनीति तय करने के लिए आज शाम पांच बजे पार्टी मुख्यालय में वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई है।
पांच बजे कांग्रेस मुख्यालय में बैठक
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘‘आज शाम पांच बजे कांग्रेस मुख्यालय में वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई गई है जिसमें इस लड़ाई को आगे ले जाने की रणनीति तय की जाएगी।” उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार को सबसे ज़्यादा डर राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी से लगता है। लोकतंत्र की हत्या करने लिए उन्होंने गांधी की संसद सदस्यता रद्द की है। वे सच बोलने वालों का मुंह बंद करना चाहते हैं।” खरगे ने कहा, ‘‘देशवासी यह तानाशाही नहीं सहेंगे। लोकतंत्र की हिफ़ाज़त के लिए हम जेल तक जाएंगे। हम जेपीसी की मांग करते रहेंगे।”
सूरत कोर्ट ने सुनाई थी दो साल की सजा
उल्लेखनीय है कि सूरत की एक अदालत ने ‘‘मोदी उपनाम” संबंधी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि के एक मामले में उन्हें बृहस्पतिवार को दो साल कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने, हालांकि गांधी को जमानत भी दे दी तथा उनकी सजा के अमल पर 30 दिनों तक के लिए रोक लगा दी, ताकि कांग्रेस नेता फैसले को चुनौती दे सकें।
क्या कहा था राहुल गांधी ने?
राहुल गांधी के खिलाफ यह मामला उनकी उस टिप्पणी को लेकर दर्ज किया गया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था, ‘‘सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही कैसे होता है?” राहुल गांधी की इस टिप्पणी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई थी। वायनाड से लोकसभा सदस्य गांधी ने यह कथित टिप्पणी 2019 के आम चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में आयोजित जनसभा में की थी।
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