Buland kesari;-शिरोमणि अकाली दल (SAD) के बंगा से दो बार विधायक रहे डॉ. सुखविंदर सिंह सुखी आम आदमी पार्टी (AAP) में शामिल हो गए हैं। उनके पाला बदलने से साफ है कि वह दलबदल कानून के तहत विधानसभा से इस्तीफा देंगे। इस्तीफे की प्रक्रिया अगले कुछ समय में हो सकती है।
वहीं, इसके बाद उनकी सीट भी खाली हो जाएगी। ऐसे में इस बार पंजाब में चार की बजाय पांच सीटों पर उपचुनाव होंगे। हालांकि, डॉ. सुखी का पार्टी को अलविदा कहना शिअद के लिए किसी झटके से कम नहीं है। एक तो अब दोआबा में पार्टी का कोई विधायक नहीं बचा है। वहीं, उनके इस्तीफे के बाद(SAD)पार्टी के खिलाफ बगावत का मोर्चा खोलने वाले नेताओं को एक और मौका मिल गया है।
हालांकि, डॉ. सुखी का कहना है कि (SAD) ने उन्हें पूरा सम्मान दिया है। लेकिन वह अपने हलके का विकास चाहते हैं। इसी वजह से उन्होंने यह कदम उठाया है। इस्तीफे के इस बारे में कानूनी माहिरों से राय ले रहे हैं। इससे पहले जब वे विधायक बने थे तो कांग्रेस की सरकार थी, उस समय कोई काम नहीं हुआ, जबकि अब आप की सरकार है। साथ ही, उन्होंने विधानसभा में जो भी मुद्दे उठाए, उन्हें पहल के आधार पर पूरा किया गया है।
पंजाब में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने थे। क्योंकि इन सीटों के विधायक लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गए हैं। इन सीटों में बरनाला, गिद्दड़बाहा, डेरा बाबा नानक और चब्बेवाल शामिल हैं।
इन नेताओं ने विधानसभा से इस्तीफा भी दे दिया है। इन नेताओं में गुरमीत सिंह मीत हेयर संगरूर के सांसद बन गए हैं। जबकि अमरिंदर सिंह राजा वडिंग लुधियाना, राज कुमार चब्बेवाल होशियापुर और सुखजिंदर सिंह रंधावा गुरदासपुर के सांसद बन गए हैं।
हरियाणा चुनाव के साथ ही हो सकते हैं उपचुनाव
पंजाब की इन पांच सीटों पर जल्द ही चुनाव होने हैं। अभी तक चुनाव आयोग ने इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया है। माना जा रहा है कि सितंबर या अक्टूबर में जैसे ही हरियाणा में चुनाव की तारीख घोषित होगी, उसके साथ ही इन सीटों पर भी चुनाव हो सकते हैं।
चुनाव आयोग की टीम ने दो दिन पहले ही हरियाणा का दौरा किया है। साथ ही चुनाव को लेकर स्थिति का जायजा लिया है। इससे पहले जालंधर पश्चिम सीट पर उपचुनाव हिमाचल प्रदेश में हुए उपचुनाव के साथ ही हुआ था। उस सीट पर आम आदमी पार्टी जीतने में सफल रही थी।
अभी तक डॉ. सुक्खी ने विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया है। हालांकि उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था कि वह इस मामले में कानूनी माहिरों से राय ले रहे हैं। सभी तकनीकी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं। दूसरी तरफ पता चला है अभी तक इस बारे में (SAD)अकाली दल की तरफ से भी विधानसभा को जानकारी नहीं दी गई है। ऐसे में वह रिकॉर्ड में अभी (SAD)अकाली दल के विधायक है। जब तक शिअद छोडने के बारे में नहीं लिखता है। तब तक वह इसी पद पर बने रहेंगे। साथ ही उनके साथ ही बैठेंगे।
डॉ. सुखविंदर सिंह सुखी के पार्टी छोड़ने से अब दोआबा में पार्टी का कोई विधायक नहीं है। दोआबा में पार्टी के एकमात्र विधायक डॉ. सुखी थे। जहां तक माझा का सवाल है तो मजीठा से गनीव कौर विधायक हैं। वह वरिष्ठ (SAD)अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की पत्नी हैं।
जबकि 69 सीटों वाले मालवा में पार्टी के विधायक मनप्रीत सिंह अयाली हैं। हालांकि वह भी इन दिनों पार्टी से दूरी बनाए हुए हैं। इस बारे में राजनीतिक विशेषज्ञ कुलदीप सिंह कहते हैं कि अकाली दल के लिए यह समय काफी नाजुक है।
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