बुलंद केसरी न्यूज, नई दिल्लीः New Delhi News: देश में हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले महान कृषि वैज्ञानिक MS Swaminathan का निधन हो गया है। 98 साल की उम्र में उन्होंने तमिलनाडु में आखिरी सांस ली। बता दें कि स्वामीनाथन को फादर ऑफ ग्रीन रिवॉल्यूशन भी कहा जाता है। एमएस स्वामीनाथन को उनके जीवन में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जिनमें 1967 में ‘पद्म श्री’,1972 में ‘पद्म भूषण’और 1989 में ‘पद्म विभूषण’शामिल हैं। स्वामीनाथन सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर में भी सराहे जाते थे।
जिक्रयोग्य है कि Swaminathan ने देश में धान की फसल को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में बड़ा योगदान दिया था। इस पहल के चलते पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को काफी मदद मिली थी। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और बाद में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के महानिदेशक व 1979 में कृषि मंत्रालय के प्रमुख सचिव के रूप में भी कार्य किया।
गौरतलब है कि भारत में उच्च उपज देने वाली गेहूं और चावल की किस्मों को विकसित करने और उनका नेतृत्व करने के लिए स्वामीनाथन को 1987 में पहले विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें 1971 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
पीएम मोदी ने भी एमएस स्वामीनाथन के निधन पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय में, कृषि में उनके अभूतपूर्व कार्य ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की। कृषि में अपने क्रांतिकारी योगदान के अलावा, डॉ. स्वामीनाथन नवाचार के पावरहाउस और कई लोगों के लिए एक संरक्षक गुरु थे। अनुसंधान और मार्गदर्शन के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने अनगिनत वैज्ञानिकों पर एक अमिट छाप छोड़ी है। भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं।
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