Buland kesari ;- जालंधर (Cigarette) पीना स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक है, यह बात हर कोई जानता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक सिगरेट में 7,000 से ज्यादा केमिकल होते हैं, जिनमें से 250 से अधिक बेहद हानिकारक और 70 से ज्यादा कैंसर पैदा करने वाले (कार्सिनोजेनिक) होते हैं? यह खतरनाक केमिकल न केवल फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि शरीर के लगभग हर हिस्से को धीरे-धीरे बीमार कर सकते हैं।
कैसे काम करते हैं ये ज़हरीले केमिकल?
सिगरेट जलाने के बाद इसमें मौजूद रसायन शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और खून में मिलकर विभिन्न अंगों पर बुरा असर डालते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख ज़हरीले तत्व इस प्रकार हैं:
निकोटीन – यह वह नशीला पदार्थ है जो धूम्रपान की लत लगाता है। यह रक्तचाप बढ़ाकर हृदय को नुकसान पहुंचाता है।
टार – यह फेफड़ों में जमता है और सांस लेने में दिक्कत के साथ-साथ कैंसर का कारण बन सकता है।
कार्बन मोनोऑक्साइड – यह खून में ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता है, जिससे दिल और फेफड़े पर बुरा असर पड़ता है।
बेंजीन – यह ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) का कारण बन सकता है।
अमोनिया – यह फेफड़ों की कार्यप्रणाली को नुकसान पहुंचाता है और सांस की बीमारियों का खतरा बढ़ाता है।
आर्सेनिक – यह एक जहरीला पदार्थ है, जो आमतौर पर चूहे मारने के जहर में इस्तेमाल किया जाता है।
कैडमियम – बैटरियों में पाया जाने वाला यह तत्व किडनी को खराब कर सकता है।
पोलोनियम-210 – यह एक रेडियोएक्टिव पदार्थ है, जो कैंसर पैदा कर सकता है।
फॉर्मलडिहाइड – यह सांस की नली और फेफड़ों में जलन पैदा कर सकता है।
कैंसर, दिल की बीमारी और स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण
सिगरेट में मौजूद ये खतरनाक केमिकल फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी बीमारियों को जन्म देते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनियाभर में हर साल 80 लाख लोग तंबाकू से होने वाली बीमारियों की वजह से मरते हैं।
धूम्रपान करने वालों के लिए चेतावनी!
विशेषज्ञों के अनुसार, सिगरेट छोड़ने से तुरंत फायदा मिलना शुरू हो जाता है। पहले 20 मिनट में ही शरीर पर सकारात्मक असर दिखने लगता है, और 10 साल बाद कैंसर का खतरा आधा हो जाता है।
सरकार को उठाने होंगे सख्त कदम
भारत में सरकार ने सिगरेट के पैकेट पर चेतावनी संदेश देना अनिवार्य किया है, लेकिन यह काफी नहीं है। सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर सख्ती से रोक लगानी होगी और युवाओं को इस लत से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाना जरूरी है।
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