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देसी कट्टा और रिवॉलवरों की हो रही थी होम डिलीवरी, ऑनलाइन होती थी बुकिंग! गैंग के 7 सदस्य गिरफ्तार

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Buland kesari ;- उत्तर प्रदेश की पुलिस ने ऑनलाइन हथियार बेचने वाले गैंग का भंडाफोड़ करते हुए 7 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें दो खरीदार भी शामिल हैं. गैंग के लोग इंस्टाग्राम, फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए हथियार बेचते थे. पुलिस ने इन सभी को मुजफ्फनगर में एक रिवाल्वर की डिलीविरी देते वक्त गिरफ्तार कर लिया.गैंग ये सभी देश में बना कट्टा 4000 से लेकर 5000 रुपये और विदेश से आई रिवाल्वर को 40 हजार से 50 हजार रुपये में बेचते थे. पेमेंट होने के बाद बताए गए लोकेशन पर डिलिवीरी दी जाती थी.

पुलिस ने आरोपियों के पास से कई हथियार बरामद किया
आरोपियों के कब्जे से पांच देशी बंदूकें, तीन आयातित पिस्तौल, लगभग दो दर्जन गोलियां, एक बाइक और एक कार जब्त की गई. मुजफ्फरनगर के एसपी (शहर) सत्यनारायण प्रजापत ने कहा, “यह गिरफ्तारी राज्य में अवैध डिजिटल हथियार नेटवर्क पर हमारी कार्रवाई में एक महत्वपूर्ण कदम है. प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि उनके आसपास के जिलों में अन्य गिरोहों के साथ संबंध हैं. उन्होंने इंस्टाग्राम, फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल हथियारों का ऑनलाइन सौदा करने के लिए इस्तेमाल किया. खरीदारों को हथियार पहुंचाने से पहले पेमेंट कराते थे.

”सात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई FIR
प्रजापत ने कहा, ‘सूचना मिलने के बाद, सर्कल अधिकारी (शहर) व्योम बिंदल ने एक टीम बनाई और मंगलवार को जाल बिछाया. था.’ खालापार पुलिस स्टेशन में सात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई, जिसमें आजम रिज़वी, विवेक नागर (दोनों मेरठ से), प्रतीक त्यागी, मनीष कुमार, ऋषभ प्रजापति, विशाल और प्रदीप कुमार का नाम शामिल है. ये सभी मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं. आरोपियों के खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया. विशाल और प्रतीक रिवॉल्वर लेने आए थे. इन सभी को जेल भेज दिया गया. पूछताछ के दौरान, प्रतिवादी ने पुलिस को बताया कि “पिस्तौल या गोलियों का ऑनलाइन सौदा करना सुरक्षित था और सौदा तय करने के लिए अधिक यात्रा नहीं करनी पड़ती थी.

लंबे समय से काम कर रहा था गैंग
आरोपियों ने अपनी काम करने के तरीके का खुलासा करते हुए कहा कि वे पहले आवश्यक हथियार की तस्वीरें और उसकी विशेषताएं भेजते थे. एक बार सौदा तय हो जाने के बाद, वे हथियार का पैसा अपने खातों में मंगवा लेते थे और फिर डिलीविरी करते थे. सूत्रों ने कहा कि गिरोह के सदस्य “लंबे समय” से काम कर रहे थे और पुलिस के रडार पर थे.

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