Buland kesari ;- पंजाब में फर्जी सरकारी दस्तावेज बनाने वाला माफिया किस तरह बड़े स्तर पर सक्रिय है उसका प्रमाण पहले रैवेन्यू विभाग में सामने आ चुकी फर्जी एन.ओ.सी. और अब आर्म लाइसैंस के साथ अनिवार्य फर्जी डोप टैस्ट के रूप में सामने आया है। इसके बाद अब कमिश्नरेट पुलिस के निशाने पर फर्जी मोहरें और डॉक्टर के फर्जी हस्ताक्षर करने वाले माफिया आ गया है।
ए.सी.पी. लाइसैंस राजेश शर्मा द्वारा जिस आर्म लाइसैंसधारी फ्लावर एन्क्लेव के चरणजीत सिंह पर फर्जी डोप टैस्ट की मदद से लाइसैंस रिन्यू करवाने के आरोप में मामला दर्ज करवाया है, उसके बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया की जब आरोपी द्वारा खुद आने की जगह बार-बार फाइल के लिए किसी और को उनके दफ्तर पर भेजा जाता रहा तो उन्हें इस पर शक हुआ और जब उन्होंने गहनता से उसकी फाइल की जांच की तो वो हैरान रह गए न सिर्फ चरणजीत सिंह हैंडीकैप्ड है बल्कि हार बार डोप टैस्ट में उसकी लंबाई अलग-अलग लिखी हुई थी।
इतना ही नहीं लाइसैंस बनवाते समय पहले उसकी उम्र 16 जुलाई 1969 और दूसरी बार उसकी उम्र 5 जुलाई 1969 अंकित थी, जबकि पहले उसके शरीर की लंबाई 5 फीट 9 इंच और दूसरी बार लंबाई 5 फीट 8 इंच बताई थी।
ए.सी.पी. शर्मा ने बताया की अलग अलग-समय में लाइसैंस रिन्यू करवाने के लिए बनवाए मैडीकल टैस्ट में जन्म तारीख और शरीर की लंबाई में बार-बार अंतर दर्ज होने और शहर के एड्रैस पर रहने वाले शख्स द्वारा सिविल हॉस्पिटल (लुधियाना) की जगह रायकोट हॉस्पिटल में जाकर डोप टैस्ट बनवाने के कारण जब उन्हें शक हुआ तो उन्होंने इस संबंधी सिविल सर्जन को पत्र लिखा। इन्होंने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि उक्त शख्स ने न तो रायकोट अस्पताल सितंबर 2020 और अप्रैल 2023 दौरान न तो ओ.पी.डी. स्लिप कटवाई थी और नहीं डोप टैस्ट की फीस अदा की थी जिससे साफ है की दोनों डोप टैस्ट फर्जी है। इसके बाद उन्होंने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करने की सिफारिश की। उधर सरकार और प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती शहर में सक्रिय फर्जी सरकारी दस्तावेज बनाने वाला माफिया बन चूका है।
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