Buland kesari ;- पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सपरिवार महाकुंभ पहुंचे हैं. यहां वे विभिन्न शिविरों में जाकर संतों का आशिर्वाद ले रहे हैं. उन्होंने संगम में भी डुबकी लगाई. इसी बीच वे मोरारी बापू की रामकथा में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि ‘मैंने देखा है कि हम श्रीराम को मानते हैं, उनके चरित्र को मानते हैं, उनके चरित्र को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करते हैं, लेकिन राम की नहीं मानते हैं. जहां राम की बात मानने की आती है, वहां हम थोड़े से झिझकने क्यों लगते हैं। यह एक चुनौती है. हमें धीरे-धीरे प्रयास करना होगा कि हम श्रीराम के मार्ग पर कैसे चलें. ताकि प्रभु श्रीराम का चरित्र हम सब के जीवन में आए
साथ ही मौजूद परमार्थ निकेतन के चिदानंद सरस्वती ने कहा कि ‘अब समय आ गया है कि हमारे दिल और हमारे घर के आगे मोहब्बत लिखा हो. अब समय आ गया है कि हम न बंटेंगे, न बाटेंगे, न डरेंगे, न डराएंगे, न कटेंगे, न लड़ेंगे, न लड़ाएंगे. यही संगम के तट से संगम का संदेश है.
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चिदानंद सरस्वती ने कहा कि बापूजी सनातन की परम ज्योति हैं. उन्होंने जिसे छू लिया, उसे अपना बना लिया. बापू का जीवन सदैव सेतु निर्माण करता रहा. उन्होंने कहा कि समुद्र मंथन संग्राम से शुरू हुआ और संगम तक पहुंचा, अमृत तक पहुंचा. बापू का जीवन संग्राम नहीं, संग-राम को चरित्रार्थ करता है.
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